PM मोदी की मॉरीशस यात्रा क्यों है महत्वपूर्ण , चीन को कैसे लग सकता है झटका?

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मॉरीशस की दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर हैं. PM मोदी 12 मार्च को मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे, इससे दोनों देशों के बीच संबध और भी मजबूत होंगे.वहीं, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉरीशस यात्रा से चीन को बड़ा झटका लग सकता है, क्योंकि यह यात्रा दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों पर प्रकाश डालेगी और हिंद महासागर में चीन के प्रभाव को कम करने में मदद करेगी.

मॉरीशस हिंद महासागर में एक महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित है और भारत के लिए यह एक रणनीतिक साझेदार है. भारत ने मॉरीशस में कई विकास परियोजनाओं में निवेश किया है, जिनमें मेट्रो एक्सप्रेस, छोटी जन-उन्मुख परियोजनाएं और अनुदान सहायता शामिल हैं. पीएम मोदी की यह यह यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने और हिंद महासागर में चीन के प्रभाव को कम करने में मदद करेगी.

यहां से चीन की गतिविधियों पर नजर

भारत ने मॉरीशस के उत्तरी अगालेगा द्वीप पर एक इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाया है, जिससे वह हिंद महासागर में चीन के सैन्य जहाजों और पनडुब्बियों पर नजर रख सकता है. यह यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने और हिंद महासागर में चीन के प्रभाव को कम करने में मदद करेगी.

पश्चिमी हिंद महासागर में स्थित मॉरीशस में भारतीय मूल के लोगों की एक बड़ी आबादी रहती है, जो द्वीप के 1.2 मिलियन निवासियों में से लगभग 70% हैं. इस जनसांख्यिकीय संबंध ने दोनों देशों के बीच एक अनोखा बंधन विकसित किया है, जो सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक संबंधों में परिलक्षित होता है.

भारत से मॉरीशस का संबंध क्यों है खास? 

मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस का भारत से एक विशेष संबंध है. महात्मा गांधी ने 1901 में दक्षिण अफ्रीका से भारत की यात्रा के दौरान मॉरीशस में कुछ समय बिताया था. इस दौरान, उन्होंने भारतीय श्रमिकों को तीन महत्वपूर्ण संदेश दिए. शिक्षा का महत्व, राजनीतिक सशक्तिकरण और भारत के साथ संबंध बनाए रखने का महत्व. गांधी की इस यात्रा की याद में मॉरीशस अपना राष्ट्रीय दिवस दांडी मार्च की तारीख को मनाता है, जो गांधी को श्रद्धांजलि के रूप में है.

2015 में कई समझौता पर हुआ था हस्ताक्षर

2015 में प्रधानमंत्री मोदी की मॉरीशस यात्रा के दौरान अगालेगा द्वीप पर परिवहन सुविधाओं को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता पर हस्ताक्षर किए गए थे. इस समझौते का मुख्य उद्देश्य समुद्री और हवाई संपर्क में सुधार करना, द्वीप के निवासियों को लाभ पहुंचाना और मॉरीशस रक्षा बलों की क्षमताओं को मजबूत करना था. यह समझौता भारत और मॉरीशस के बीच मजबूत संबंधों को दर्शाता है, जो ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से जुड़े हुए हैं.

अगालेगा द्वीप क्या अहम है? 

मॉरीशस से 1,100 किलोमीटर उत्तर में स्थित अगालेगा द्वीप भारतीय दक्षिणी तट से निकटता के कारण सामरिक महत्व रखता है. फरवरी 2024 में, भारत और मॉरीशस ने संयुक्त रूप से द्वीप पर हवाई पट्टी और जेटी परियोजनाओं का उद्घाटन किया, जिससे उनके द्विपक्षीय सहयोग को मजबूती मिली. अगालेगा द्वीप का विकास सैन्य उद्देश्यों के लिए नहीं है. इसके बजाय, द्वीप के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. इस परियोजना के तहत, भारत की ओर से आर्थिक रूप से समर्थित छह अन्य परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया गया, जिससे अगालेगा द्वीप में बुनियादी ढांचे और सामाजिक-आर्थिक विकास को और बढ़ावा मिला.

हिंद महासागर क्षेत्र भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का केंद्र बन गया है, जहां विभिन्न देश प्रभाव के लिए होड़ कर रहे हैं. यूरोप, खाड़ी देश, रूस, ईरान और तुर्की सभी इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहे हैं, जिससे भारत के लिए पड़ोसी देशों के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाना जरूरी हो गया है.

भारत के लिए मॉरीशस के साथ संबंधों को मजबूत करने के कई फायदे


सामरिक महत्व: मॉरीशस हिंद महासागर में एक महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित है, जो भारत के लिए सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है

आर्थिक सहयोग: मॉरीशस के साथ आर्थिक सहयोग भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, खासकर व्यापार और निवेश के क्षेत्र में

सांस्कृतिक संबंध: मॉरीशस में भारतीय मूल के लोगों की एक बड़ी आबादी है, जो भारत और मॉरीशस के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत बनाती है

इस प्रकार, भारत के लिए मॉरीशस के साथ संबंधों को मजबूत करना महत्वपूर्ण है, खासकर हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी के मद्देनजर.

भारत और मॉरीशस के बीच समुद्री सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीकी समझौते पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। यह समझौता व्हाइट-शिपिंग सूचना साझा करने पर केंद्रित होगा, जिससे दोनों देश वास्तविक समय में डेटा का आदान-प्रदान कर सकेंगे और क्षेत्रीय सहयोग को बेहतर बना सकेंगे. इसके अलावा, यह समझौता मॉरीशस के व्यापारिक गलियारों की सुरक्षा को और अधिक सुगम बनाएगा.

व्यापारिक दृष्टिकोण से, भारत और मॉरीशस के बीच मजबूत संबंध हैं. भारत मॉरीशस का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, और वित्त वर्ष 2023-24 में सिंगापुर के बाद मॉरीशस भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत बनकर उभरा है.

भारत-मॉरीशस के बीच क्षमता निर्माण सहयोग भी मजबूत है, जहां मॉरीशस आईटीईसी (भारत के तकनीकी और आर्थिक सहयोग) कार्यक्रम का सबसे बड़ा लाभार्थी है. 2002-03 से, भारत ने आईटीईसी के तहत लगभग 4,940 मॉरीशसियों को प्रशिक्षण प्रदान किया है.



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