सुप्रीम कोर्ट ने लोधी युग के शेख अली 'गुमटी' को खाली करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने डिफेंस कॉलोनी वेलफेयर एसोसिएशन को 2 हफ्ते में इसे खाली करने को कहा है. सर्वोच्च न्यायालय ने साथ ही पुरातात्विक महत्व की 500 साल पुरानी कब्र पर अवैध अतिक्रमण के लिए फटकार भी लगाई और DCWA को 2 सप्ताह के भीतर गुमटी का शांतिपूर्ण कब्जा सौंपने का निर्देश दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि खाली करने की प्रक्रिया में, गुमटी को कोई और नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए. वहीं अगर कोई अन्य अतिक्रमण किया जाता है तो उसे हटाने की जिम्मेदारी दिल्ली नगर निगम की होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने DCWA से स्मारक को भूमि एवं विकास कार्यालय, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, भारत सरकार (L&DO), इमारत के मूल मालिक को सौंपने की निगरानी के लिए आयुक्त नियुक्त किया.
दरअसल 1962 में, जिस भूमि पर गुमटी स्थित है, उसे उसके रखरखाव के लिए MCD को सौंप दिया गया था. यह आदेश डिफेंस कॉलोनी निवासी राजीव सूरी द्वारा दायर याचिका में पारित किया गया था, जिसमें प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 (एएमएएसआर अधिनियम) के तहत गुमटी के संरक्षण की मांग की गई थी.
अगस्त 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को इस बात की प्रारंभिक जांच शुरू करने का निर्देश दिया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और केंद्र सरकार ने इसे संरक्षित करने से इनकार क्यों किया था.
सीबीआई की रिपोर्ट से पता चला कि RWA ने न केवल अवैध रूप से इस पर कब्जा कर लिया, बल्कि अनधिकृत परिवर्तन भी कर दिए.
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