मुंबई को दहलाने वाले तहव्वुर राणा के लिए अब आखिरी मौका, जानिए कैसे जगी इंसाफ की उम्मीद

Mumbai Attack Criminal Tahawwur Rana: निचली अदालतों, संघीय अदालतों और अपील अदालत से कोई राहत ना मिलने के बाद तहव्वुर राणा ने 13 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, लेकिन उसे एक बड़ा झटका लगा है. अमेरिकी सरकार ने मुंबई में आतंकवादी हमले के मामले में भारत भेजे जाने के खिलाफ उसकी याचिका को खारिज करने की गुज़ारिश अदालत से की है. राणा दलील देता रहा है कि शिकागो की अदालत उसे उन सब आरोपों से बरी कर चुकी है, जो अब उस पर लगाए जा रहे हैं. हालांकि, फर्जी दस्तावेजों का मामला उस पर नहीं चला था. राणा ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ही भारत में अपना दफ़्तर खोला था.

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तहव्वुर राणा को भारत लाये जाने के आसार से आतंकी हमलों के पीड़ितों के मन में भी अब इस मामले में इंसाफ होने की उम्मीद जाग रही है. 26/11 के पीड़ित दिलीप मेहता कहते हैं 'अब तहव्वुर राणा के पास भारत आने और यहां मुकदमे का सामना करने के अलावा कोई उपाय नहीं है. इसलिए एक भारतीय के रूप में और 26/11 के पीड़ित और बंधक के रूप में इसे मैं एक बहुत बड़ा कदम मानता हूं. अब तहव्वुर राणा की बारी है, जिसे मुकदमे का सामना करना होगा और मुझे आश्चर्य नहीं होगा, अगर उसे मृत्युदंड दिया जाए.

भारत के पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि राणा ने अपने दोस्त और अमेरिकी नागरिक डेविड हेडली के साथ मिलकर लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-मुजाहिदीन के लिए आतंकी हमले की साजिश रची थी. उसके भारत प्रत्यर्पण के लिए लंबी लड़ाई अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिख रही है, क्योंकि भारत के हवाले किए जाने के मामले में कोई राहत पाने का तहव्वुर राणा के पास ये आखिरी मौका है. 

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26/11 मामले में सरकारी वकील उज्जवल निकम कहते हैं, 'भारत यूएस के बीच प्रत्यर्पण संधि है . भारत सरकार के लिए बड़ी कामयाबी होगी अगर मुंबई हमलों का आरोपी भारत लाया जाता है तो. देशों के डिप्लोमैटिक रिश्तों का इसमें बड़ा रोल होता है. इस मामले में अब तक भारत सरकार की कूटनीति बिल्कुल यशस्वी रही है. यूएस सरकार भी भारत से  अच्छे संबंध चाहती है. उसके भारत आने से कई अनसुलझे सवालों के जवाब सामने आ सकते हैं. मुंबई हमलों में मारे गए लोगों के परिवार जिन्हें बरसों से इंसाफ की उम्मीद है . उन्हें इंसाफ मिलेगा. यूएस सरकार ने एक अहम फैसला लिया है और ये अहम फैसला इस बात पर है कि जो तहव्वुर राणा का कहना था कि भारत मुझे भारत प्रत्यर्पित कर ट्रायल नहीं चलाई जा सकती क्योंकि पहले ही शिकागो कोर्ट में मुझे सजा हुई है, जिस चार्ज पर भारत ट्रायल करना चाहता है. यूएस के लॉ एंड जस्टिस डिपार्टमेंट ने ये मैटर वापस एक्जामिन की और उन्होंने कहा कि शिकागो कोर्ट में राणा के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में कोई ट्रायल नहीं चली थी और इसलिए यूएस सरकार ने ये फैसला लेकर यूएस सुप्रीम कोर्ट को बता दिया है कि राणा ने जो अपील की है, उसे खारिज किया जाए. ये बड़ी बात है.  



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