जब मैं एमबीए के छात्रों से मिलता हूं, तो पांच-पांच छात्रों का समूह बना देता हूं और उन्हें पैसे कमाने की एक आसान टास्क देता हूं। इसके लिए हर समूह को 200 या 500 रु. की शुरुआती राशि दी जाती है। खेल की शर्त यह है कि उन्हें एक दिन में निवेश को कम से कम दोगुना करना होगा। तीन शीर्ष विजेताओं के लिए एक सरप्राइज गिफ्ट होती है, जो उनके द्वारा अर्जित धन से अधिक हो। जैसे ही प्रतियोगिता शुरू होती है, निर्दिष्ट समूह हमेशा कुछ उत्पाद सस्ते में खरीदने और छात्रों के बीच खुदरा बिक्री करके पैसा बनाने की कोशिश करता है। और उनमें से हर कोई यह भूल जाता है कि उनके पास "श्रम' नाम का भी एक निवेश है, जिसे इस पैसे में जोड़कर कम समय में अधिक लाभ कमाया जा सकता है। खेल के अंत में मैं बताता हूं कि आईआईटी, बॉम्बे में हम छात्रों ने भी यही खेल खेला था। हमें 100 रु. मिलते थे और 10 छात्रों को तीन घंटे में इसे दोगुना करना होता था। हमारा समूह चार उप-समूहों में विभाजित हो जाता था। पहले समूह में एक व्यक्ति लॉजिस्टिक्स प्रमुख था, दूसरे समूह में दो लोग थे जो शेष तीन समूहों के बीच समन्वयक थे, तीन लोगों का तीसरा समूह मार्केटिंग ग्रुप बन जाता था, जो सभी कार वाले प्रोफेसरों से संपर्क करके उनसे अनुरोध करता था कि वे उन्हें 5 रु. में अपनी कार धोने की अनुमति दें, और तीन लोगों का चौथा समूह कार धोना शुरू कर देता था। जब दूसरा समूह अपने काम से फ्री होता तो वे भी धुलाई वाले समूह में शामिल हो जाते। इस तरह हमने तीन घंटे में 285 रु. कमाए। हमारे प्रयासों को बाद में कॉलेज में एक केस स्टडी बनाया गया। मुझे 4 दशक पुरानी ये कहानी तब याद आई, जब मैंने पढ़ा कि कैसे तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और भारत के अन्य स्थानों से छात्र अब वित्तीय संकट से बाहर निकलने के लिए अमेरिका में बसे भारतीय समुदाय का सहारा ले रहे हैं। जाहिर है, अमेरिकी बाजार की मौजूदा स्थिति में पार्ट टाइम काम मिलना मुश्किल हो रहा है, इसलिए बहुत से भारतीय छात्र गुजारा करने के लिए अपने घर के आस-पास की नौकरी ढूंढ रहे हैं- जैसे कि बच्चों की देखभाल करना। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत 2023-24 में चीन को पीछे छोड़कर अमेरिकी विश्वविद्यालयों में छात्रों को भेजने वाला शीर्ष देश बन गया है और आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के छात्र उनमें सबसे ऊपर हैं। इन दोनों राज्यों के 56% छात्रों को 2023 में भारत से जारी किए गए अमेरिकी वीजा मिले हैं- तेलंगाना से 34% और आंध्र प्रदेश से 22%। वे बच्चों या पालतू जानवरों की देखभाल जैसे कोई भी शारीरिक श्रम करने के लिए तैयार हैं। उन्हें यह किसी स्थानीय स्टोर या गैस स्टेशन में काम करने से बेहतर लगता है, क्योंकि वे यह काम भारतीय समुदाय के लोगों के घर में करते हैं और उन्हें दूसरे देश के कर्मचारियों के साथ काम करने के दबाव से राहत मिलती है। वे ऐसा करके प्रति घंटे 10 डॉलर कमाते हैं। कुछ लोग छह दिन तक नियोक्ता के साथ रहते हैं और रविवार को कॉलेज के दोस्तों के साथ बिताकर आवास शुल्क भी बचाते हैं। मेरा यकीन करें, किसी अजनबी के घर में, और कई बार उनके आउटहाउस में रहना, और भारत में माता-पिता द्वारा प्रदान किए गए घर के आराम को याद करना सबसे कठिन काम है। मेरा अनुभव कहता है कि वे सभी छात्र जो इस तरह के कठिन जीवन का अनुभव करते हैं, वे आखिरकार अपने जीवन को आरामदायक बनाने में सफल होते हैं क्योंकि वे नहीं चाहते कि उनकी अगली पीढ़ी मुश्किलों में आगे बढ़े। मैं आपको यह कहते हुए सुन सकता हूं कि हां, मैंने भी अपनी जिंदगी इसी तरह बनाई है। लेकिन आपने यह गलती की कि अपने बच्चों को हर तरह की सुविधा मुहैया कराई ताकि उन्हें एक बूंद भी पसीना न बहाना पड़े। फंडा यह है कि हाथ का काम (श्रम) सबसे बड़ा शिक्षक है, जिसका पाठ्यक्रम अकादमिक और पैरेंटिंग पाठ्यक्रम से कहीं बेहतर है। अपने बच्चों को सफल बनाने के लिए उन्हें मेहनत करने दें।
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