नादयोग महोत्सव 2024 के अवसर पर राजधानी कॉलेज एवं नवयोग सूर्योदय सेवा समिति के तत्वाधान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय नादयोग संगोष्ठी में गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में डॉ नवदीप जोशी द्वारा लिखित पुस्तक 'नादयोग विज्ञान' का लोकार्पण किया गया।
कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर मंजरी जोशी और हर्ष कुमार शुक्ल द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर राजेश गिरी (प्राचार्य, राजधानी कॉलेज, DU) ने कहा कि, राजधानी कॉलेज के 60 वर्ष पूर्ण होने के उपरांत आयोजित का कार्यक्रम में नादयोग विज्ञान को मील का पत्थर माना। उन्होंने नादयोग से जुड़ने के लिए समस्त युवाओं का आवाहन किया।
डॉ नवदीप जोशी (संस्थापक, नवयोग) ने नाद योग के विस्तृत वर्णन के साथ नादयोग क्या है तथा इसका हमारे मन वाणी एवं विचारों पर भौतिक जगत में पढ़ने वाले प्रभावों के साथ एकाग्रता से जोड़ने पर बल दिया। डॉ काशिनाथ समकांडी (निदेशक, MDNIY) ने नादयोग, हठयोग ,राजयोग एवं संबंधित विधाओं पर विस्तार से चर्चा करते हुए विचारों को एकाग्र करने की प्रक्रिया तक पहुंचने को नादयोग से संबद्ध किया एवं जीवन में नवाचार की प्रकृति लाने पर जोर दिया।
नई दिल्ली से सांसद बांसुरी स्वराज ने कहा कि, विश्व व ब्रह्मांड की भाषा है नादयोग। उन्होंने अकार, ओकार व मकार का वर्णन मस्तिष्क आत्मा व मन को एकाकार करने को ही नादयोग बताया। अपने ओजस्वी भाषण के द्वारा उन्होंने उपस्थित छात्रों मैं एक नया जोश वह स्फूर्ति का संचार किया तथा उन्होंने शिव तांडव स्रोत का वीर गान करते हुए भारतीयों को संस्कृति से जोड़ने पर बल दिया।
प्रो बलराम पाणी (अधिष्ठाता महाविद्यालय, DU) ने कहा कि, जो युवा है वो सोशल मडिया के साथ आज के समय में अपनी सामाजिक ध्वनि को बढाने के साथ साथ मुख्य रूप से अपने अंतर्मन की ध्वनि की पहचान करें व उन्होंने आत्म साधना पर बल दिया। स्वामी ब्रह्म स्वरूपानंद जी (कुलपति, वैदिक विश्वविद्यालय एवम संस्थापक, ब्रह्म विद्या पीठम, त्रिनिदाद, दक्षिण अमेरिका) ने बताया कि, हर देवी-देवता के पास अपना स्वयं का वाद्य यन्त्र है जैसे श्रीकृष्ण के पास उनकी मुरली, सरस्वती जी की वीणा और नारद आदि देवता सभी अपने वाध्ययंत्रो द्वारा ईश्वर की साधना करते रहे हैं। इस भौतिक जगत में शक्ति को केन्द्रित व एकाग्र करने का मुख्य साधन नाद साधना है।
दत्तात्रेय होसबले जी (सर सरकार्यवाह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) ने नादयोग विज्ञान पुस्तक जिसका अनावरण इनके हाथो हुआ उसका वर्णन करते हुए बताया कि, विश्वसाधना की पद्दति है नादयोग तथा डॉ नवदीप जोशी द्वारा नादयोग के क्षेत्र में की जा रही अप्रतिम गति की सराहना की। उनका कहना था कि सृष्टि की उत्पत्ति की खोज जो पाई-मेसोन कण के द्वारा किये जाने की पुष्टि होने के वैज्ञानिक शोध के बारे में बताया की, उससे भी तीव्र ॐ की ध्वनि के लक्षण एवं लौकिक है जिससे साबित होता है कि ॐ ही सृष्टि की उत्पत्ति का कारन है। उन्होंने नव्योग विज्ञानं पत्रिका से विभिन्न उद्धरणों का उदाहरण देते हुए समाज में नादयोग की महत्ता के बारे में विशेष वर्णन किया।
डॉ देवी दत्त जोशी (संरक्षक, सूर्योदय सेवा समिति) ने अपने अध्यक्षीय भाषण में बताया कि नादयोग, संगीत की विद्या से जुड़ा हुआ है, यह एक बहुत महत्वपूर्ण क्रिया है जिस पर अगर वैज्ञानिक शोध में वृद्धि की जाये तो हम अनेक जीवन शैली से सम्बंधित समस्याओ पर विजय प्राप्त कर सकते है। नवयोग की तरफ़ से मंच प्रबंधन में एडवोकेट सूरज सिंह , अर्चना राज जी, दीक्षा एवं शिवानी का योगदान रहा। डॉक्टर योगेश शर्मा, कृष्ण कन्हैया, भावना एवं अन्य योगशिक्षक भी कार्यक्रम में मौजूद रहे।
http://dlvr.it/TCqh88
कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर मंजरी जोशी और हर्ष कुमार शुक्ल द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर राजेश गिरी (प्राचार्य, राजधानी कॉलेज, DU) ने कहा कि, राजधानी कॉलेज के 60 वर्ष पूर्ण होने के उपरांत आयोजित का कार्यक्रम में नादयोग विज्ञान को मील का पत्थर माना। उन्होंने नादयोग से जुड़ने के लिए समस्त युवाओं का आवाहन किया।
डॉ नवदीप जोशी (संस्थापक, नवयोग) ने नाद योग के विस्तृत वर्णन के साथ नादयोग क्या है तथा इसका हमारे मन वाणी एवं विचारों पर भौतिक जगत में पढ़ने वाले प्रभावों के साथ एकाग्रता से जोड़ने पर बल दिया। डॉ काशिनाथ समकांडी (निदेशक, MDNIY) ने नादयोग, हठयोग ,राजयोग एवं संबंधित विधाओं पर विस्तार से चर्चा करते हुए विचारों को एकाग्र करने की प्रक्रिया तक पहुंचने को नादयोग से संबद्ध किया एवं जीवन में नवाचार की प्रकृति लाने पर जोर दिया।
नई दिल्ली से सांसद बांसुरी स्वराज ने कहा कि, विश्व व ब्रह्मांड की भाषा है नादयोग। उन्होंने अकार, ओकार व मकार का वर्णन मस्तिष्क आत्मा व मन को एकाकार करने को ही नादयोग बताया। अपने ओजस्वी भाषण के द्वारा उन्होंने उपस्थित छात्रों मैं एक नया जोश वह स्फूर्ति का संचार किया तथा उन्होंने शिव तांडव स्रोत का वीर गान करते हुए भारतीयों को संस्कृति से जोड़ने पर बल दिया।
प्रो बलराम पाणी (अधिष्ठाता महाविद्यालय, DU) ने कहा कि, जो युवा है वो सोशल मडिया के साथ आज के समय में अपनी सामाजिक ध्वनि को बढाने के साथ साथ मुख्य रूप से अपने अंतर्मन की ध्वनि की पहचान करें व उन्होंने आत्म साधना पर बल दिया। स्वामी ब्रह्म स्वरूपानंद जी (कुलपति, वैदिक विश्वविद्यालय एवम संस्थापक, ब्रह्म विद्या पीठम, त्रिनिदाद, दक्षिण अमेरिका) ने बताया कि, हर देवी-देवता के पास अपना स्वयं का वाद्य यन्त्र है जैसे श्रीकृष्ण के पास उनकी मुरली, सरस्वती जी की वीणा और नारद आदि देवता सभी अपने वाध्ययंत्रो द्वारा ईश्वर की साधना करते रहे हैं। इस भौतिक जगत में शक्ति को केन्द्रित व एकाग्र करने का मुख्य साधन नाद साधना है।
दत्तात्रेय होसबले जी (सर सरकार्यवाह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) ने नादयोग विज्ञान पुस्तक जिसका अनावरण इनके हाथो हुआ उसका वर्णन करते हुए बताया कि, विश्वसाधना की पद्दति है नादयोग तथा डॉ नवदीप जोशी द्वारा नादयोग के क्षेत्र में की जा रही अप्रतिम गति की सराहना की। उनका कहना था कि सृष्टि की उत्पत्ति की खोज जो पाई-मेसोन कण के द्वारा किये जाने की पुष्टि होने के वैज्ञानिक शोध के बारे में बताया की, उससे भी तीव्र ॐ की ध्वनि के लक्षण एवं लौकिक है जिससे साबित होता है कि ॐ ही सृष्टि की उत्पत्ति का कारन है। उन्होंने नव्योग विज्ञानं पत्रिका से विभिन्न उद्धरणों का उदाहरण देते हुए समाज में नादयोग की महत्ता के बारे में विशेष वर्णन किया।
डॉ देवी दत्त जोशी (संरक्षक, सूर्योदय सेवा समिति) ने अपने अध्यक्षीय भाषण में बताया कि नादयोग, संगीत की विद्या से जुड़ा हुआ है, यह एक बहुत महत्वपूर्ण क्रिया है जिस पर अगर वैज्ञानिक शोध में वृद्धि की जाये तो हम अनेक जीवन शैली से सम्बंधित समस्याओ पर विजय प्राप्त कर सकते है। नवयोग की तरफ़ से मंच प्रबंधन में एडवोकेट सूरज सिंह , अर्चना राज जी, दीक्षा एवं शिवानी का योगदान रहा। डॉक्टर योगेश शर्मा, कृष्ण कन्हैया, भावना एवं अन्य योगशिक्षक भी कार्यक्रम में मौजूद रहे।
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