भारतीय संविधान Indian Polity पीडीएफ मुफ्त में डाउनलोड करें, Constitution of India

Laxmikant Polity


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परिचय - :संविधान भारत का सर्वोच्च विधान है जिसे संविधान सभा ने 26 नवम्बर 1949 को पारित किया लेकिन 26 जनवरी 1950 से लागू किया गया था  26 नवम्बर को संविधान दिवस के रूप मे मनाया जाता है जबकि 26 जनवरी को भारत में गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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भारतीय संविधान की इस pdf मे निम्नलिखित टॉपिक को रिवीजन के लिए टॉपिक वाइज कवर किया गया है 

संविधान की अनुसूचिया 

प्रथम अनुसूची राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों का वर्णन

दूसरी अनुसूची : राष्ट्रपति राज्यों के , राज्यपाल, लोकसभा के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष, राज्य सभा के सभापति तथा उप-सभापति, विधान सभा के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष, विधान परिषद के सभापति..

तीसरी अनुसूची शपथ या प्रतिज्ञान के प्ररूप

चौथी अनुसूची : राज्य सभा में सीटों का आबंटन

पांचवीं अनुसूची अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण के बारे में उपबंध

छठी अनुसूची: असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में उपबंध

सातवीं अनुसूची : संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची

आठवीं अनुसूची: मान्यता प्राप्त भाषाओं की सूची

नौवीं अनुसूची: भूमि सुधार

दसवीं अनुसूची दल परिवर्तन

ग्यारहवीं अनुसूची: पंचायत

बारहवीं अनुसूची : नगरपालिका

उद्देशिका
सर्वप्रथम अमेरिकी संविधान में उद्देशिका शामिल

13 दिसंबर 1946 को पंडित नेहरू द्वारा संविधान सभा में प्रस्तुत तथा 22 जनवरी 1947 का स्वीकृत

उद्देशिका शब्दों का क्रम

हम भारत के लोग प्रभुत्व संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतांत्रिक → गणराज्य ⇒ न्याय स्वतंत्रता समता राष्ट्र की एकता तथा अखंडता ⇒ अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्प

उद्देशिका के चार मूल तत्व हैं

1. संविधान के अधिकारों का स्त्रोत: भारत की जनता

2. भारत की प्रकृतिः संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणतांत्रिक देश

3. संविधान के उद्देश्य: न्याय, स्वतंत्रता, समता व बंधुत्व

4. संविधान लागू करने की तारीख: 26 नवंबर 1949

उद्देशिका के बारे में अन्य प्रमुख बातें

उद्देशिका संविधान का भाग है।

मूल ढांचे का प्रभावित किए बिना संशोधन संभव

42वें संशोधन के रूप में सिर्फ एक बार संशोधित तीन शब्द समाजवाद, पंथनिरपेक्ष, अखंडता

संघ एवं इसका क्षेत्र अनुच्छेद 1 से 4 तक

अनुच्छेद 1⇒ भारत अर्थात् इंडिया 'राज्यों का संघ' 

अनुच्छेद 2-संसद भारतीय संघ में नए राज्यों का प्रवेश कर सकती है

अनुच्छेद 3 राज्यों के पुनर्गठन की शक्ति सिर्फ संसद को, विधेयक लाने से पूर्व राष्ट्रपति की पूर्वानुमति आवश्यक

राज्य विधानमंडल का भी मत जाना जाएगा किंतु वह बाध्यकारी नहीं

अनुच्छेद 4 राज्यों का पुनर्गठन संसद द्वारा साधारण विधेयक के माध्यम से

भारत में एक नागरिकता का प्रावधान 

अनुच्छेद 5 से 11 तक मूलतः संविधान लागू होने के समय नागरिकता का निर्धारण करने संबंधी प्रावधान नागरिकता के संबंध में कानून बनाने की शक्ति संसद को

मौलिक अधिकार अनुच्छेद 12 से 35 तक 

मलिक अधिकार याद करने की ट्रक

व्यक्ति के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने के लिए भाग 3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक वर्णित

मूलतः अमेरिकी संविधान की संकल्पना

मूल अधिकार राज्य के मनमानेपन के विरूद्ध नागरिकों को प्राप्त संरक्षण

अनुच्छेद 12 राज्य की परिभाषा: संसद, राज्य विधानमंडल, सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी

अनुच्छेद 13 विधि की परिभाषा

मूल अधिकारों का उल्लंघन करने वाली प्रत्येक विधिशून्य होगी

संविधान संशोधन विधि की परिभाषा के दायरे से बाहर

अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समता ब्रिटिश संकल्पना और विधियों का समान संरक्षण अमेरिकी संकल्पना दोनों का उद्देश्य कानून की सर्वोच्चता स्थापित करना

अनुच्छेद 15 केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान के आधार पर राज्य द्वारा कोई भेदभाव नहीं

हालांकि बच्चों, महिलाओं, एससी, एसटी और सामाजिक व शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए राज्य विशेष प्रावधान कर सकता है

अनुच्छेद 16 केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान के आधार पर राज्य द्वारा सरकारी नौकरियों में कोई भेदभाव नहीं

हालांकि महिलाओं, एससी, एसटी और सामाजिक व शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए राज्य आरक्षण की व्यवस्था कर सकता है

अनुच्छेद 17 छूआछूत का प्रतिबंध, निजी व्यक्तियों के विरूद्ध भी यह प्रावधान लागू

अनुच्छेद 18 : उपाधियों का अंत, राष्ट्रपति की अनुमति के बिना विदेश से कोई उपाधि नहीं

अनुच्छेद 19 विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता शांतिपूर्वक बिना हथियारों के एकत्रित होने और सभा करने की स्वतंत्रता संघ बनाने की स्वतंत्रता

देश के किसी भी क्षेत्र में आवागमन की स्वतंत्रता

देश के किसी भी क्षेत्र में निवास करने की स्वतंत्रता

कोई भी व्यापार एवं जीविका चलाने की स्वतंत्रता

अनुच्छेद 20 एक अपराध के लिए केवल एक बार सजा

विद्यमान कानून के अनुसार सजा, किसी को अपने विरुद्ध गवाही के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता

अनुच्छेद 21 प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 21A

6 से 14 वर्ष बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा ( 86वां संशोधन 2002)

अनुच्छेद 22 व्यक्ति को उसे गिरफ्तार करने के कारणों को जानने का अधिकार

अपने वकील से परामर्श करने का अधिकार

गिरफ्तारी के 24 घंटों के अंदर निकट के मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित

अनुच्छेद 23 मानव के दुर्व्यापार और बलात श्रम पर प्रतिबंध

अनुच्छेद 24-: 14 वर्ष से कम आयु वाले किसी बच्चे को कारखानों या किसी जोखिम भरे काम पर नियुक्त नहीं

अनुच्छेद 25 -:धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता

अनुच्छेद 26 धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता

अनुच्छेद 27 धार्मिक कार्यों के लिए राज्य द्वारा कोई कर नहीं

अनुच्छेद 28 राज्य द्वारा संचालित किसी स्कूल आदि में कोई धार्मिक शिक्षा नहीं

अन्य शिक्षण संस्थानों में व्यक्ति की इच्छा के विरूद्ध कोई धार्मिक शिक्षा नहीं

अनुच्छेद 29 अल्पसंख्यक वर्ग को अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति को सुरक्षित रखने का अधिकार

अनुच्छेद 30 शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार

अनुच्छेद 32 मूल अधिकारों को लागू करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को 5 प्रकार की रिट जारी करने की शक्ति बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, उत्प्रेषण, अधिकार पृच्छा

अनुच्छेद 36 राज्य की परिभाषा

अनुच्छेद 37 नीति निदेशक तत्वों को लागू करना सरकार के लिए कानूनी रूप से तो बाध्यकारी नहीं किंतु नैतिक रूप से अवश्य

अनुच्छेद38 राज्य सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कल्याण के लिए न्याय पर आधारित सामाजिक व्यवस्था की स्थापना का प्रयास करेगा।

अनुच्छेद 39 महिला-पुरूष के लिए जीवनयापन के समान अवसर, समान कार्य के लिए समान वेतन, धन और उत्पादन के साधनों का समाज में समरूप वितरण,

अनुच्छेद 39Aसभी को समान एवं निःशुल्क कानूनी सहायता

अनुच्छेद 40 ग्राम पंचायतों के गठन हेतु राज्य प्रयास करेगा

अनुच्छेद 41राज्य काम, शिक्षा के साथ ही बुढापे, बीमारी जैसी अभाव की दशाओं में लोक सहायता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा

अनुच्छेद 42 काम की न्यायसंगत और प्रसूति सहायता

अनुच्छेद 43 राज्य न्यूनतम मजदूरी तथा श्रमिकों के हितों को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा

अनुच्छेद 43क उद्योगों के प्रबंधन में श्रमिकों की भागीदारी का प्रयास

अनुच्छेद 44 राज्य समान नागरिक संहिता को अपनाने का प्रयास करेगा

अनुच्छेद 45 राज्य सभी बालकों को 14 वर्ष की आयु पूरी करने तक निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा देने के लिए का प्रयास करेगा

अनुच्छेद 46 समाज के कमजोर वर्गों एवं SC, ST के हितों की सुरक्षा

अनुच्छेद 47 लोगों को उच्च स्तरीय पोषण उपलब्ध करवाने तथा लोक स्वास्थ्य का राज्य प्रयास करेगा

अनुच्छेद 48 कृषि एवं पशुपालन की दिशा में राज्य के दायित्व

अनुच्छेद 48क पर्यावरण संरक्षण तथा वन्यजीवों आदि का संरक्षण

अनुच्छेद 49 राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों आदि का संरक्षण

अनुच्छेद 50 कार्यपालिक- न्यायपालिका का पृथक्करण

अनुच्छेद 51अंतर्राष्ट्रीय शांति को बढाने हेतु राज्य प्रयासरत रहेगा

नीति-निदेशक तत्वों के बारे में कुछ जरूरी तथ्य 

नीति-निदेशक तत्व आयरलैंड के संविधान से ग्रहण किए गए हैं। मूल अधिकार तथा नीति-निदेशक तत्व एक-दूसरे के पूरक हैं।

मूल अधिकारों और नीति-निदेशक तत्वों का मूल उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक लोकतंत्र की स्थापना करना है।

संघ एवं राज्य की कार्यपालिका

संघ की कार्यपालिका शक्तियां राष्ट्रपति में जबकि राज्य की कार्यपालिका शक्तियाँ राज्यपाल में होंगी।

संसदीय शासन प्रणाली अपनाए जाने के कारण राष्ट्रपति एवं राज्यपाल नाममात्र के प्रमुख जबकि वास्तविक कार्यपालिका मंत्रिपरिषद में निहित

अनुच्छेद 74 एवं अनुच्छेद 163 के अनुसार क्रमशः राष्ट्रपति एवं राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सहायता एवं सलाह के अनुसार कार्य करेंगे।

संघ के सभी प्रमुख कार्यपालिका अधिकारियों एवं संवैधानिक पदाधिकारियों की नियुक्ति राष्ट्रपति के नाम से की जाएगी।

राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से अर्थात् आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा होता है।

राष्ट्रपति हेतु आवश्यक योग्यतायें

भारत की नागरिकता

35 वर्ष की न्यूनतम आयु

लोकसभा का सदस्य बनने की योग्यता

अनुच्छेद 60 राष्ट्रपति द्वारा सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष शपथ

अनुच्छेद 61 : राष्ट्रपति को महाभियोग की प्रक्रिया अर्थात् दोनों सदनों के कुल सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से अलग-अलग प्रस्ताव पारित कर पद से हटाया जा सकता है।

इस प्रकार के प्रस्ताव हेतु एक चैथाई सदस्यों का समर्थन तथा राष्ट्रपति को 14 दिन पूर्व लिखित सूचना देना अनिवार्य

अनुच्छेद 63 के अनुसार भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा।

उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होगा

भारत की नागरिकता, 35 वर्ष की आयु के साथ ही राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यता जरूरी है।

* उपराष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य भाग लेते हैं।

* राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के निर्वाचन संबंधी विवादों का समाधान सिर्फ सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही किया जा सकता है।

अनुच्छेद 72 तथा 161 क्रमशः राष्ट्रपति तथा राज्यपाल को क्षमादान के संबंध में शक्तियाँ प्रदान करते हैं।

दोनों की शक्तियाँ समान है किंतु मृत्युदंड को माफ करने की शक्ति केवल राष्ट्रपति को है, राज्यपाल को नहीं ।

राष्ट्रपति की कार्यपालिका शक्तियाँ

संघ की कार्यपालिका शक्तियाँ राष्ट्रपति में निहित

भारत सरकार की सभी कार्यवाहियाँ राष्ट्रपति के नाम से

प्रधानमंत्री तथा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति

मंत्रालयों का आवंटन

राष्ट्रपति के प्रति मंत्रियों का व्यक्तिगत उत्तरदायित्व

राष्ट्रपति की विधायी शक्तियाँ

राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग (अनुच्छेद 79)

संसद का सत्र बुलाने, सत्रावसान करने तथा लोकसभा को विघटित करने की शक्ति

राज्यसभा में 12 सदस्यों का मनोनयन

विधायी और प्रशासनिक विषयों के संबंध में प्रधानमंत्री से जानकारी मांगने की शक्ति संसद की संयुक्त बैठक बुलाने की शक्ति


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